वेटिकन ने एक बयान जारी कर पोप फ्रांसिस (Pope Francis) के निधन की पुष्टि कर दी। वह लंबे समय से अस्पताल में थे। उनका निमोनिया के लिए इलाज चल रहा था। ईस्टर पर लंबे समय के बाद वे लोगों के सामने आए थे। भारत सरकार ने पोप फ्रांसिस के निधन पर तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है।
वेटिकन के कार्डिनल केविन फेरेल ने कहा कि पोप फ्रांसिस का पूरा जीवन ईश्वर की सेवा में समर्पित रहा। वे 8वीं शताब्दी के बाद से यूरोप के बाहर से पहले पोप थे। वे रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे।
पोप फ्रांसिस जेसुइट ऑर्डर से पहले पोप थे। अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो के रूप में जन्मे पोप फ्रांसिस को 1969 में कैथोलिक पादरी नियुक्त किया गया था। 28 फरवरी, 2013 को पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद 13 मार्च को एक पोप सम्मेलन ने कार्डिनल बर्गोग्लियो को उनका उत्तराधिकारी चुना गया था।
उन्होंने सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी के सम्मान में फ्रांसिस को अपना पोप नाम चुना। अब आधिकारिक शोक की 14 दिन की अवधि होगी, जिसके बाद कार्डिनल मसीह के नए विकर का चुनाव करने के लिए सम्मेलन में जाएंगे।
आइए जानते हैं पोप के अंतिम संस्कार, नए पोप के निर्वाचन और वेटिकन के प्रशासन की प्रक्रिया के बारे में सब कुछ:
पोप का अंतिम संस्कार Pope Francis’s funeral
शव की तैयारी: पोप के शव का पोस्टमॉर्टम नहीं किया जाता। शरीर को संरक्षित करके सार्वजनिक दर्शन (3-4 दिन) के लिए रखा जाता है।
अंतिम संस्कार समारोह:
– एक्सक्विय मास: कार्डिनल्स के डीन द्वारा आयोजित अंतिम मास।
शव को दफनाने की प्रक्रिया: शव को ताबूत में रखा जाता है।
– सरू की लकड़ी का ताबूत (प्रतीकात्मक शुद्धता) ।
– सीसे का ताबूत (वायुरोधी)।
– बाहरी एल्म का ताबूत।
समाधि स्थल: सेंट पीटर बेसिलिका (St Peter’s Basilica) में दफनाया जाता है। पोप जॉन पॉल II को इसी स्थल पर रखा गया था। पोप फांसिस का अंतिम संस्कार भी यही किया जाएगा।
वेटिकन ने घोषणा की है कि पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार 26 अप्रैल को होगा। पोप फ्रांसिस को बुधवार सुबह स्थानीय समयानुसार 09:00 बजे (08:00 BST) सेंट पीटर्स बेसिलिका ले जाया जाएगा। पोप का ताबूत दफनाए जाने तक जनता के लिए श्रद्धांजलि देने के लिए वहीं रखा रहेगा। उनका पार्थिव शरीर फिलहाल सांता मार्टा निवास के चैपल में एक ताबूत में रखा हुआ है, जहां वे अपने 12 साल के पोपत्व के दौरान रहते थे।
नौ दिवसीय शोक (नोवेंडियल): मृत्यु के बाद 9 दिन तक प्रार्थनाएँ की जाती हैं।
नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया (पोपल कॉन्क्लेव):
मृत्यु के बाद की तैयारी: पोप की मृत्यु की पुष्टि के बाद “सीड वेकेंट” (खाली सिंहासन) की घोषणा होती है। इस अवधि में वेटिकन का प्रशासन कैमरलेंजो (कार्डिनल चैंबरलेन) संभालता है।
कॉन्क्लेव की शुरुआत: मृत्यु के 15-20 दिनों के भीतर 80 वर्ष से कम आयु के कार्डिनल्स वेटिकन में एकत्र होते हैं। 2013 में पोप बेनेडिक्ट XVI ने नियम बदलकर इसे जल्दी शुरू करने की अनुमति दी, यदि सभी कार्डिनल उपस्थित हों।
मतदान प्रक्रिया:
– कार्डिनल्स सिस्टिन चैपल में बंद होकर गुप्त मतदान करते हैं।
– 4 चक्रों (2 सुबह, 2 शाम) में मतदान होता है।
– दो-तिहाई बहुमत से विजेता चुना जाता है। यदि 30 चक्रों में भी निर्णय न हो, तो साधारण बहुमत से चुनाव हो सकता है।
धुआँ संकेत: सफेद धुआँ (Fumata Bianca) नए पोप के चयन का प्रतीक है; काला धुआँ (Fumata Nera ) निर्णय न होने का प्रतीक है। सफेद धुएँ की परंपरा का भी अपना है:
– 1914 से मतपत्र जलाकर धुआँ दिखाने की शुरुआत।
– 1958 तक काला/सफेद धुआँ अनिश्चित होता था। 1963 में केमिकल (पोटैशियम क्लोरेट, लैक्टोज, रोजिन) मिलाकर रंग स्पष्ट किया गया।
– 2005 से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से धुआँ निकाला जाता है।
प्रतीकवाद: सफेद धुआँ “सेंटो स्पिरिटो” यानि पवित्र आत्मा (Basilica di Santo Spirito) के मार्गदर्शन का प्रतीक है।
वेटिकन का अंतरिम प्रशासन:
कैमरलेंजो (Camerlengo):
कार्डिनल चैंबरलेन वित्त, दैनिक प्रशासन और पोप के निजी सामान की देखभाल करता है। यह पद अक्सर वरिष्ठ कार्डिनल को दिया जाता है।
अपोस्टोलिक कैमरा (Apostolic Camera) :
3 कार्डिनल्स (Cardinals) एक समिति (कार्डिनल्स असिस्टेंट) कैमरलेंजो की सहायता करती है।
प्रमुख निर्णय स्थगित: नए पोप के चुनाव तक कोई बड़ा फैसला नहीं लिया जाता।
क्या कोई महिला पोप बन सकती है?
कैनन लॉ का नियम: कैथोलिक चर्च के अनुसार, केवल पुरुष ही पादरी बन सकते हैं (कैनन लॉ 1024)। पोप जॉन पॉल II ने 1994 के एपोस्टोलिक लेटर ऑर्डिनेशियो सैक्राडोटालिस में इसे पुष्ट किया।
ऐतिहासिक विवाद:
मध्ययुगीन किंवदंती में “पोप जोन” नामक महिला पोप का जिक्र है, पर यह ऐतिहासिक रूप से अप्रमाणित है।
पोपों की संख्या और निर्वाचन समयसीमा:
ऐतिहासिक गणना: सेंट पीटर (प्रथम पोप) से अब तक 266 पोप बन चुके हैं। नया पोप 267वें क्रम पर होगा। कुछ विवादित “एंटीपोप” (जैसे अविग्नन पोप) को गिनती से बाहर रखा जाता है।
निर्वाचन की अवधि: कोई कानूनी समयसीमा नहीं, परंपरा के अनुसार 2-5 दिन में चुनाव हो जाता है। सबसे लंबा कॉन्क्लेव 1268-1271 (2 वर्ष, 9 महीने) तक चला था।
अस्थायी पदभार: जब तक नए पोप का चुनाव नहीं होता, तब तक पोप का पद रिक्त रहता है; कोई “अंतरिम पोप” नहीं होता।
अतिरिक्त तथ्य:
शपथ ग्रहण: नए पोप से पूछा जाता है: “तुम स्वीकार करते हो?” (लैटिन: Acceptasne electionem?)। स्वीकार करने पर उन्हें पोपल नाम चुनना होता है (जैसे फ्रांसिस, बेनेडिक्ट)।
पहला गैर-इतालवी पोप: 1978 में जॉन पॉल II (पोलैंड) ने यह परंपरा तोड़ी।
आधुनिक सुधार:
– 2023 में पोप फ्रांसिस ने गोपनीयता नियमों को कड़ा किया, कॉन्क्लेव के दौरान कार्डिनल्स के बाहरी संपर्क पर प्रतिबंध लगाया।
– यह प्रक्रिया ईसाई धर्म की सबसे पुरानी और अद्वितीय परंपराओं में से एक है, जो विश्वास, राजनीति, और इतिहास का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करती है।