BJP की दक्षिण के जरिये अब की बार 400 पार की राह इतनी भी आसान नहीं
दक्षिण भारत का मानस अलग ढंग से व्यवहार करता है और व्यक्तिनिष्ठ प्रवृत्तियों के चलते अपने नेताओं के साथ किए गए व्यवहार को आसानी से भूलता नहीं है। जाति, समुदाय और मठों की भूमिकाएं भी कर्नाटक में अपना पूरा रोल निभाती हैं सो है ही।