प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लेक्स फ्रिडमैन (Lex Fridman ) के साथ हुआ पॉडकास्ट इंटरव्यू (Podcast With PM Modi) एक चर्चित घटना रही है। इंटरव्यू में किन विषयों पर चर्चा की गई, इसके बारे में बात करने के बजाय मैं एक दूसरे पहलू पर बात करना चाहता हूं।
लेक्स फ्रिडमैन ने इस इंटरव्यू से पहले 45 घंटे के उपवास (fast for 45 hours) का दावा किया था। यह उपवास उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ होने वाली बातचीत के लिए मानसिक और शारीरिक तैयारी के रूप में किया था। हालांकि, इस दावे की सत्यता को लेकर कोई स्वतंत्र पुष्टि नहीं है, लेकिन यदि यह सच है तो फ्रिडमैन की गंभीरता और काम के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
उपवास करने का निर्णय व्यक्तिगत हो सकता है, जो शायद उन्हें ध्यान केंद्रित करने और इंटरव्यू के दौरान अधिक स्पष्ट और तीव्र मानसिक स्थिति में रहने में मदद करने के लिए था।
लेक्स फ्रिडमैन एक जाने-माने पॉडकास्टर और एआई शोधकर्ता हैं, जो अपने इंटरव्यू के लिए मशहूर हैं। उनका साक्षात्कार शैली गहन और विचारोत्तेजक होती है, जो विषय के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है। इस इंटरव्यू में भी यही देखने को मिला है।
आइए अब मूल मुद्दे के बारे में बात करें…. कुछ सवाल उठने लाजिमी हैं। मसलन, 45 घंटे का उपवास करने से एक व्यक्ति के शरीर में क्या क्या बदलाव होते हैं? क्या इतने लंबे उपवास के बाद इंटरव्यू जैसे काम पर पूरी तरह से फोकस किया जा सकता है?
45 घंटे का उपवास (फास्टिंग) शरीर और मन पर कई प्रभाव डालता है। यह प्रक्रिया शरीर की चयापचय (मेटाबॉलिज्म) प्रणाली को बदल देती है और कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तन लाती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, इन परिवर्तनों को समझने के लिए हमें उपवास के विभिन्न चरणों और उनके प्रभावों को देखना होगा।
45 घंटे के उपवास के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव:
ग्लूकोज का उपयोग और ग्लाइकोजन का खत्म होना (0-24 घंटे): उपवास के शुरुआती घंटों में शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का उपयोग करता है, जो रक्त में मौजूद होता है।
जब रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है, तो शरीर लिवर में संग्रहीत ग्लाइकोजन को तोड़कर ग्लूकोज में बदलता है। लगभग 24 घंटे के बाद, ग्लाइकोजन का स्टोर खत्म हो जाता है।
कीटोसिस की शुरुआत (24-48 घंटे): ग्लाइकोजन खत्म होने के बाद, शरीर ऊर्जा के लिए वसा (फैट) को तोड़ना शुरू करता है। इस प्रक्रिया को कीटोसिस कहा जाता है।
कीटोसिस के दौरान, लिवर वसा को कीटोन बॉडीज में बदलता है, जो मस्तिष्क और शरीर के लिए ऊर्जा का स्रोत बन जाते हैं। कीटोन बॉडीज मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे मानसिक स्पष्टता और फोकस बढ़ सकता है।
हार्मोनल परिवर्तन: उपवास के दौरान, इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है, जबकि ग्लूकागन और नॉरएड्रेनालिन का स्तर बढ़ जाता है। यह वसा के टूटने को बढ़ावा देता है। ग्रोथ हार्मोन (HGH) का स्तर भी बढ़ जाता है, जो मांसपेशियों के संरक्षण और वसा के टूटने में मदद करता है।
मानसिक स्पष्टता और फोकस: कीटोसिस के दौरान, मस्तिष्क को कीटोन बॉडीज से ऊर्जा मिलती है, जो ग्लूकोज की तुलना में अधिक स्थिर और कुशल ऊर्जा स्रोत है। इससे मानसिक स्पष्टता, फोकस और एकाग्रता बढ़ सकती है। कई लोग लंबे उपवास के दौरान अधिक सजग और मानसिक रूप से तीव्र महसूस करते हैं।
शारीरिक थकान और कमजोरी: हालांकि मानसिक स्पष्टता बढ़ सकती है, लेकिन शारीरिक रूप से थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है, खासकर उन लोगों में जो उपवास के आदी नहीं हैं। शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम) की कमी हो सकती है, जिससे सिरदर्द, चक्कर आना, या मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है।
पाचन तंत्र का आराम: उपवास के दौरान पाचन तंत्र को आराम मिलता है, क्योंकि भोजन नहीं खाया जाता है। इससे शरीर की ऊर्जा अन्य कार्यों, जैसे मरम्मत और डिटॉक्सिफिकेशन, पर केंद्रित होती है।
अब दूसरे सवाल पर गौर करते हैं कि क्या 45 घंटे के उपवास के बाद इंटरव्यू जैसे काम पर फोकस किया जा सकता है?
मानसिक फोकस और स्पष्टता: विशेषज्ञों का कहना है कि कीटोसिस के कारण, मस्तिष्क को कीटोन बॉडीज से ऊर्जा मिलती है, जो मानसिक स्पष्टता और फोकस को बढ़ा सकती है। इसलिए, कुछ लोग लंबे उपवास के बाद अधिक एकाग्र और सजग महसूस करते हैं।
हालांकि, यह अनुभव व्यक्तिगत होता है। कुछ लोगों को उपवास के दौरान मानसिक थकान या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है, खासकर यदि वे उपवास के आदी नहीं हैं।
शारीरिक ऊर्जा का स्तर: शारीरिक रूप से, उपवास के बाद ऊर्जा का स्तर कम हो सकता है, खासकर यदि शरीर को कीटोसिस के लिए अनुकूलित नहीं किया गया है। इंटरव्यू जैसे काम में, जहां शारीरिक गतिविधि कम होती है, मानसिक फोकस अधिक महत्वपूर्ण होता है। इसलिए, यदि व्यक्ति मानसिक रूप से स्पष्ट है, तो वह इंटरव्यू पर फोकस कर सकता है।
इलेक्ट्रोलाइट्स और हाइड्रेशन: उपवास के दौरान, इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो सकती है, जिससे सिरदर्द, चक्कर आना, या मानसिक धुंधलापन हो सकता है। इसलिए, उपवास के दौरान पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन जरूरी है। यदि व्यक्ति ने उपवास के दौरान पर्याप्त पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स लिया है, तो वह इंटरव्यू जैसे काम पर बेहतर फोकस कर सकता है।
व्यक्तिगत अनुभव और अनुकूलन: जो लोग नियमित रूप से उपवास करते हैं, उनके लिए 45 घंटे का उपवास आसान हो सकता है, और वे इसके बाद भी पूरी तरह से फोकस कर सकते हैं। हालांकि, जो लोग उपवास के आदी नहीं हैं, उन्हें थकान, चिड़चिड़ापन, या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है।
तकनीकी विमर्श का निष्कर्ष
45 घंटे का उपवास शरीर और मन पर गहरा प्रभाव डालता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, कीटोसिस के कारण मानसिक स्पष्टता और फोकस बढ़ सकता है, लेकिन शारीरिक थकान और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी के कारण कुछ लोगों को असुविधा हो सकती है। यदि व्यक्ति उपवास के आदी है और उसने पर्याप्त पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स लिया है, तो वह इंटरव्यू जैसे काम पर पूरी तरह से फोकस कर सकता है। हालांकि, यह व्यक्तिगत अनुभव और शरीर की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।