बदलने की बारी अब जनता की

केंद्र सरकार के एक फैसले से पूरा देश कतार में खड़े होने पर मजबूर हो गया। दो सप्‍ताह होने को आए लेकिन हालात सुधरने का नाम लेते नजर नहीं आ रहे। विमुद्रीकरण ने हर नागरिक के सामने मुद्रा का ऐसा संकट खड़ा किया है कि इसका अंत होता नजर नहीं आता। जो हालात हैं, उन्‍हें देखकर तो यही लगता है कि सामान्‍य परिस्थितियां लौटने में अभी कई सप्‍ताह का समय लगेगा। सरकार भले ही यह दावे करती रहे कि जल्‍दी ही हालात सामान्‍य हो जाएंगे लेकिन हकीकतन ऐसा होगा नहीं। खुद प्रधानमंत्री ने 30 दिसंबर तक का वक्‍त मांगा है।

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अच्‍छा बताइए कि जब सरकार या प्रधानमंत्री कहते हैं कि हालात सामान्‍य हो जाएंगे तो इसका क्‍या मतलब समझ आता है? क्‍या इसका मतलब यह है कि देश का सारा काला धन बाहर आ जाएगा और लोगों केा उनकी मेहनत का सही मुआवजा मिल सकेगा? काला धन भ्रष्टाचार की कोख से जन्‍म लेता है और भ्रष्टाचार के कुनबे को आगे बढ़ाता है। दुर्भाग्‍य से इस फैसले के कारण ऐसा कुछ होता तो नजर नहीं आ रहा।

यह सही है कि बड़ी मात्रा में कैश बाहर आया है लेकिन इसके अलावा भी कई चोर रास्‍ते हैं जहां से लोगों ने अपनी काली कमाई को ठिकाने लगाया। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि विमुद्रीकरण से काली कमाई का जो हिस्‍सा बाहर आया है वह महज 5 प्रतिशत भी नहीं है क्‍योंकि लोग काली कमाई को नकदी के रूप में छिपाकर नहीं रखते बल्कि उसे संपत्ति और जेवरात या अन्‍य कीमती चीजें खरीदने में निवेश करते हैं।

विमुद्रीकरण से मध्‍यम वर्गीय और निम्‍न मध्‍यम वर्गीय परिवारों को ही सबसे ज्‍यादा नुकसान हुआ है। वे काला बाजारी नहीं हैं और उनके पास काला धन भी नहीं है इसके बावजूद छोटे व्‍यापारी, किसान, दिहाड़ी मजदूर, दुकानदार और ऐसे ही अन्‍य गरीबों को नुकसान हुआ और तकलीफें उन्‍हीें को भोगनी पड़ रही हैं। एटीएम बंद पड़े हैं, बैंकों में भीड़ कम नहीं हो रही। अपने खातों में जमा धन भी लोगों को नहीं मिल रहा।

हो सकता है कि सरकार का यह फैसला सही हो और बाद में इसके कुछ फायदे भी सामने आएं लेकिन अभी तो ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा। लोग कह रहे हैं कि जिन्‍हें काला धन बनाना है वो अब दो हजार रुपए के नोट जमा करेंगे। फिलहाल तो आम आदमी इसके नुकसान को भोग रहे हैं। एटीएम की कतार में लगे आम इंसान घंटो धूप झेल रहे हैं। भूखे प्‍यासे रहकर अपने ही धन को पाने के लिए बैंककर्मियों के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं। कहीं कहीं खबर आई हैं कि लोगों की मौत हो गई तो कहीं पुलिस ने डंडे बरसाए।

यह सब इसलिए हुआ और हो रहा है क्योंकि हमारा सिस्टम करप्ट है, अक्षम है और हमारे नेताओं, अफसरों और अमीरों ने मिलकर इसे ऐसा बनाया। सरकार ने इसे सुधारने के लिए राम के जुर्म की सजा रहीम को देने का विकल्प चुना है और यह उसकी बहुत बड़ी भूल है। सरकार ने आज जनता के नोट बेकार कर दिए और उन्‍हें जबर्दस्‍ती बदलवाया है। लोकतंत्र है तो अब जनता भी कुछ करेगी। नेताओं को बेकार करार देकर बदलने की बारी अब जनता के पास होगी।